Cashless Economy से पहले हमारी डिजिटल सुचना तो सुरक्षित करें मोदी जी
@iamshubham
देश के रग रग में घुसे भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में जब प्रधानमंत्री ने 8 नवंबर को करीब शाम 7:30 बजे 500 और 1000 के नोटेबंदी की घोषणा की तब देश भर में इस बात की बहस छीड़ गई कि सरकार का ये कदम आखिर कितना कामगार होगा। क्या दिक्कतें होंगी क्या परेशानियां होंगी इस पर अभी बात शुरू ही हुई की देश के सामने cashless society या cashless economy जैसे शब्द पटक दिए गए।
जब सरकार कहती है कि देश को cashless economy की ज़रूरत आ गई है, तो इसका मतलब ये है कि देश से कागज़ के नोटों के चलन को खत्म कर हम card payment , internet banking या e-payment को बढ़ावा देने की तैयारी में हैं।
कई लोग इस पुरे मसले को देश की असाक्षारता, गरीबी जैसे मुद्दों से जोड़ कर आलोचनाओं की लड़ी लगा दी। पर इन सब से बड़ी समस्या ये है कि जब हम cashless society की नींव रखने जा रहे हैं, मतलब डिजिटल दुनिया में हमारी पैठ बढ़ने वाली है। ऐसे में जो सवाल के जवाब हमे जानने ज़रूरी हो जाते हैं, वो हैं:
कई लोग इस पुरे मसले को देश की असाक्षारता, गरीबी जैसे मुद्दों से जोड़ कर आलोचनाओं की लड़ी लगा दी। पर इन सब से बड़ी समस्या ये है कि जब हम cashless society की नींव रखने जा रहे हैं, मतलब डिजिटल दुनिया में हमारी पैठ बढ़ने वाली है। ऐसे में जो सवाल के जवाब हमे जानने ज़रूरी हो जाते हैं, वो हैं:
इस आभासी दुनिया में हम कितने मज़बूत हैं ?
कितने सुरक्षित हैं ?
हमारी सूचनाएं कितनी सुरक्षित हैं ?
देश को डिजिटल ढाँचे के तहत जोड़कर एक नए प्रारूप को विकसित करने की दिशा में डिजिटल इंडिया कैंपेन की शुरुआत हुई। बदलते समय के साथ यह होना भी चाहिए। यह कदम सराहनीय भी होता जब सरकार ऐसे हवाई किलों को बनाने से पहले एक बार डिजिटल दुनिया में उतरने के बाद की चुनौतियों पर नज़र फेरी होती। आज डिजिटल दुनिया में अगर कोई सबसे बड़ी चुनौती है तो वो है सुरक्षा! सुरक्षा हमारी सूचनाओं की। जिसे हम प्रायः सुरक्षित महसूस करते हैं इस आभासी दुनिया में। देश में ज्यादातर लोग अपने ई-मेल के लिए जीमेल, याहू, हॉटमेल जैसी विदेशी कंपनियों की सेवाओं को चुनते हैं। इन सभी कंपनियों का सर्वर विदेशों में है, जहाँ ई-मेल के माध्यम से किसी तरह की सूचना को पाना बहुत आसान हो जाता है। पिछले साल ही हमारे देश ने अमेरिका पर जासूसी का आरोप लगाया था। अमेरिका नें देश की सुरक्षा संबंधित अतिगोपनीय सूचनाओं को हासिल कर लिया था। हमारे देश में डिजिटल दुनिया में सूचनाओं की सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने जब मार्च 2014 में आधार कार्ड को गैर-जरूरी घोषित किया तो इसका प्रमुख कारण था कि जिन बायोमेट्रिक और व्यक्तिगत सूचनाओं को मांगा जा रहा था उसकी सुरक्षा के लिए सरकार के पास कोई व्यवस्था ही नहीं थी। वर्तमान में यदि कोई हमारी व्यक्तिगत और गोपनीय सूचनाओं को कोई ई.लॉकर से चुरा ले तो हमारे पास ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके मार्फ़त अपराधी को सजा दिलाई जा सके। आज जब कई देश डिजिटल दुनिया में सख्ती से पाँव जमा चुके हैं तो उसका कारण है कि वे अपनी सुरक्षा के लिए बहुत से बंदोबस्त किए हुए हैं। अमेरिका में हुए बेंगाज़ी हमले से जुड़ी गोपनीय सूचनाओं को अपने सरकारी ई-मेल पर ना मंगा कर अपने व्यक्तिगत ई-मेल पर मंगाने पर हिलेरी क्लिंटन को घोटालेबाज कहते हुए उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई की गई। यह वाकया दूसरे देशों की सुरक्षा और गोपनीयता संबंधित संवेदनशीलता को भी दिखा रही है, जबकि हमारे यहाँ केवल दिल्ली में लगभग 50 लाख केन्द्र सरकार के कर्मचारी हैं और सभी लोगों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने सभी सरकारी सूचनाओं का अदान प्रदान
सरकारी ई-मेल सेवा ".nic in" से ही करें। पर इसे व्यवस्था की लाचारी ही कहेंगे कि सरकार यह सेवा सिर्फ 5 लाख कर्मचारियों को ही मुहैया करा पा रही
है। बाकी लोग विदेशी ई-मेल सेवा प्रयोग करने के लिए मजबूर हैं जिसके कारण सूचनाओं की सुरक्षा भगवान भरोसे है। सरकार ने जो नियम निर्धारित किए हैं
उसके अनुसार ये सभी 45 लाख दिल्ली के कर्मचारी अपराधी होते हैं और इन्हें 3 साल तक के कैद की सजा भी हो सकती है, पर सरकार अपनी बेबसी का ठीकरा कर्मचारियों पर नहीं फोड़ सकती! अब सवाल यह उठता है कि जिस हवाई महल को बनाकर सरकार खुद की पीठ थपथपाने में मगन है; उसकी नींव मजबूत करने के लिए वह ठोस कदम कब उठा रही है? यह देखना दिलचस्प होगा कि नागरिकों की सुरक्षा भगवान के चरण से निकल कर सरकार की शरण में कब होगी।
है। बाकी लोग विदेशी ई-मेल सेवा प्रयोग करने के लिए मजबूर हैं जिसके कारण सूचनाओं की सुरक्षा भगवान भरोसे है। सरकार ने जो नियम निर्धारित किए हैं
उसके अनुसार ये सभी 45 लाख दिल्ली के कर्मचारी अपराधी होते हैं और इन्हें 3 साल तक के कैद की सजा भी हो सकती है, पर सरकार अपनी बेबसी का ठीकरा कर्मचारियों पर नहीं फोड़ सकती! अब सवाल यह उठता है कि जिस हवाई महल को बनाकर सरकार खुद की पीठ थपथपाने में मगन है; उसकी नींव मजबूत करने के लिए वह ठोस कदम कब उठा रही है? यह देखना दिलचस्प होगा कि नागरिकों की सुरक्षा भगवान के चरण से निकल कर सरकार की शरण में कब होगी।
Cashless Economy से पहले हमारी डिजिटल सुचना तो सुरक्षित करें मोदी जी
Reviewed by Kehna Zaroori Hai
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