23 दिनों में देश के 100 करोड़ से ज्यादा हुए बर्बाद। कौन है ज़िम्मेदार?



@iamshubham

पिछले 16 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। पूरा सत्र 16 दिसंबर तक चलना है, जिसमें कुल 22 बैठके होनी हैं। इस पूरे सत्र में आज तक जितनी भी बैठके हुई हैं वो पक्ष- विपक्ष के हंगामे, आरोप प्रत्यारोप, सही गलत, शोर शराबे और सबसे ज़रूरी की, बिना किसी महत्वपूर्ण निर्णय या निष्कर्ष के बर्बाद हो गई हैं। ये कोई नई बात नहीं है, इससे पहले भी कई ऐसे मौके रहे जब केंद्र और विपक्ष की बहस इस कदर गर्मा जाती है कि पूरा सत्र बिना किसी नतीज़े के समाप्त कर दिया जाता है।
भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिहाज से केंद्र द्वारा उठाया गया नोटबंदी का महत्वपूर्ण कदम पर देश भर में जो दो तरह की राय बनी हैं वो लोकतंत्र की खूबसूरती है। कोई इस मुद्दे का समर्थक होगा तो किसी के लिए यह एक व्यर्थ कदम होगा। पर जिस तरह से जनता के नुमाइंदे, संसद में बैठ कर देश का समय, उम्मीदें और पैसे पर आग लगा रहे हैं, वो भी किसी अपराध से कम नहीं है।
एक साल में लगभग 100 दिन ऐसे होते हैं जब संसद में कार्यवाही होती है। इन 100 दिनों का अनुमानित बजट 600 करोड़ का होता है। इसका ये मतलब कि एक दिन की कार्यवाही में (फिर चाहे वो हंगामे से बर्बाद हो जाए या देश के हित में कुछ चर्चा हो जाए) 6 करोड़ रुपयों का खर्च आता है। कुछ आंकड़ो की माने तो संसद की कार्यवाही के दौरान का खर्च 2.5 लाख रुपया प्रति मिनट है।
जब देश के राष्ट्रपति, सदन के हंगामे से तंग आ जाए और फिर माननीयों को समझाने बुझाने के लिए उन्हें भगवान की याद दिलानी पड़ जाए तो इन पूरे मामले की गंभीरता को समझना ज़रूरी हो जाता है। आम लोगों द्वारा किए गए तमाम कर भुगतान के दम पर जब संसद अपनी साँसें लेती है, तो इसके बदले में उस आम व्यक्ति के बेहतरी के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं ये जानना महत्वपूर्ण हो जाता है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ जब सफेदपोशो की आवाज़ निकलती है तो जो ओज- तेज़ दिखता है उससे जनता को युग परिवर्तन का हौसला मिलता है। पर वही जनता के शुभचिंतक, संसद में खड़े हो कर जनता की उम्मीदें, संसाधन, वक़्त, पैसा सब कुछ केवल अपनी खोखली राजनीति और स्वार्थ के नाम कुर्बान कर देते हैं तब जनता की ये ज़िम्मेदारी हो जाती है कि वो अपने नेता से उसके और एक भ्रष्टाचार के अपराधी के बीच के नैतिक अंतर को पूछे।
23 दिनों में देश के 100 करोड़ से ज्यादा हुए बर्बाद। कौन है ज़िम्मेदार? 23 दिनों में देश के 100 करोड़ से ज्यादा हुए बर्बाद। कौन है ज़िम्मेदार? Reviewed by Kehna Zaroori Hai on 08:42 Rating: 5

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