देश की जर्जर हो चुकी रेल व्यवस्था और दुर्घटनाओं का इतिहास
@iamshubham
जब से देश में नई सरकार आई है, रेल के क्षेत्र में जिस सबसे बड़े बदलाव की बात की जा रही है वो है देश में बुलेट ट्रेन की शुरुआत। चाहे चुनावी मैनिफेस्टो हो या भाषण, बुलेट ट्रेन का मुद्दा हमेशा बहुत खूबसूरती से लोगों के सामने परोसा गया।
जिस तरह से इसके लिए प्रयास चल रहे हैं उससे यह तो तय है कि आने वाले वक़्त में भारत में भी बुलेट ट्रेन दौड़ेगी, लेकिन सवाल यह है कि क्या सच में हम इस बड़े बदलाव के लिए तैयार हैं ? क्या मौजूदा रेल व्यवस्था को ठीक कर इसमें बेहतर संभावनाओं को तलाशने के सारे दरवाज़े बंद हो गए हैं ? दरअसल मौजूदा रेल की खोखली व्यवस्था समय समय पर बेनकाब होती रही है, केवल 2014 के बाद से देश में लगभग 20 से ज्यादा रेल के बड़े हादसे हुए हैं, जिसमे सैकड़ों जाने मौत के गर्त में समा गई हैं। और यही हम थोड़ा और पीछे 2010 से गैर करें तो स्थिति और दयनीय हो जाती है और हादसों की संख्या 70 से ज्यादा हो जाती है। जब रेल दुर्घटना हो जाती है, सैकड़ों लाशें गिर जाती हैं, तब प्रशासन की नींद खुलती है। कोई भी घटना हो जाती है उसके बाद की कहानी एक जैसी ही होती है। पहले घटना का होना, आनन् फानन में सभी आला अफसर और बड़े नेताओं का इक्कठा होना। फिर अफसरों द्वारा घटना की जांच का आस्वासन, पीड़ितों के परिजनों को मुआवजा। जांच का परिणाम कब आता है, गुनहगार कौन होता है, किन कमियों के वजह से हादसा हुआ ये सारे सवाल लोग भूल जाते हैं और फिर जब अगली घटना होती है, यही क्रम फिर से शुरू हो जाता है।
जिस तरह से इसके लिए प्रयास चल रहे हैं उससे यह तो तय है कि आने वाले वक़्त में भारत में भी बुलेट ट्रेन दौड़ेगी, लेकिन सवाल यह है कि क्या सच में हम इस बड़े बदलाव के लिए तैयार हैं ? क्या मौजूदा रेल व्यवस्था को ठीक कर इसमें बेहतर संभावनाओं को तलाशने के सारे दरवाज़े बंद हो गए हैं ? दरअसल मौजूदा रेल की खोखली व्यवस्था समय समय पर बेनकाब होती रही है, केवल 2014 के बाद से देश में लगभग 20 से ज्यादा रेल के बड़े हादसे हुए हैं, जिसमे सैकड़ों जाने मौत के गर्त में समा गई हैं। और यही हम थोड़ा और पीछे 2010 से गैर करें तो स्थिति और दयनीय हो जाती है और हादसों की संख्या 70 से ज्यादा हो जाती है। जब रेल दुर्घटना हो जाती है, सैकड़ों लाशें गिर जाती हैं, तब प्रशासन की नींद खुलती है। कोई भी घटना हो जाती है उसके बाद की कहानी एक जैसी ही होती है। पहले घटना का होना, आनन् फानन में सभी आला अफसर और बड़े नेताओं का इक्कठा होना। फिर अफसरों द्वारा घटना की जांच का आस्वासन, पीड़ितों के परिजनों को मुआवजा। जांच का परिणाम कब आता है, गुनहगार कौन होता है, किन कमियों के वजह से हादसा हुआ ये सारे सवाल लोग भूल जाते हैं और फिर जब अगली घटना होती है, यही क्रम फिर से शुरू हो जाता है।
आइए देश की कुछ बड़ी रेल दुर्घटनाओं पर नज़र डालें
- 20 नवंबर 2016: 19321 इंदौर- राजेंद्र नगर एक्सप्रेस कानपुर से 60 किलोमीटर पहले पटरी से उतर गई। 150 से ज्यादा लोग मारे गए। करीब 100 घायल।
- 4 अगस्त 2015: मुंबई से बनारस को जा रही कामायनी एक्सप्रेस पटरी से उतर गई। ये घटना हरदा- इटारसी के बीच हुआ। करीब 60 लोग मारे गए थे।
- 20 मार्च, 2015: देहरादून से वाराणसी जा रही जनता एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी। इस हादसे में 34 लोग मारे गए थे।
- 4 मई, 2014: दिवा सावंतवादी पैसेंजर ट्रेन नागोठाने और रोहा स्टेशन के बीच पटरी से उतर गई थी. इसमें 20 लोगों की जान गई थी और 100 अन्य घायल हुए थे।
- 28 दिसंबर 2013: बेंगलूरु-नांदेड़ एक्सप्रेस ट्रेन में आग लग गई थी और इसमें 26 लोग मारे गए थे। आग एयर कंडिशन कोच में लगी थी. उसी साल 19 अगस्त को राज्यरानी एक्सप्रेस की चपेट में आने से बिहार के खगड़िया ज़िले में 28 लोगों की जान चली गई थी।
- 30 जुलाई 2012: भारतीय रेलवे के इतिहास में साल 2012 हादसों के मामले से सबसे बुरे सालों में से एक रहा. इस साल लगभग 14 रेल हादसे हुए। इनमें पटरी से उतरने और आमने-सामने टक्कर दोनों तरह के हादसे शामिल हैं। 30 जुलाई 2012 को दिल्ली से चेन्नई जाने वाली तमिलनाडु एक्सप्रेस के एक कोच में नेल्लोर के पास आग लग गई थी जिसमें 30 से ज़्यादा लोग मारे गए थे।
- 07 जुलाई 2011: उत्तर प्रदेश में ट्रेन और बस की टक्कर में 38 लोगों की मौत हो गई।
- 20 सितंबर 2010: मध्य प्रदेश के शिवपुरी में ग्वालियर इंटरसिटी एक्सप्रेस एक मालगाड़ी से टकराई। इस टक्कर में 33 लोगों की जान चली गई और 160 से ज़्यादा लोग घायल हुए।
19 जुलाई 2010: पश्चिम बंगाल में उत्तर बंग एक्सप्रेस और वनांचल एक्सप्रेस की टक्कर हुई। 62 लोगों की मौत हुई और डेढ़ सौ से ज़्यादा घायल हुए।
- 28 मई, 2010: पश्चिम बंगाल में संदिग्ध नक्सली हमले में ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस पटरी से उतरी। इस हादसे में 170 लोगों की मौत हो गई।
- 21 अक्तूबर, 2009: उत्तर प्रदेश में मथुरा के पास गोवा एक्सप्रेस का इंजन मेवाड़ एक्सप्रेस की आख़िरी बोगी से टकरा गया। इस घटना में 22 मारे गए जबकि 23 अन्य घायल हुए।
- 14 फ़रवरी 2009: (रेल बजट के दिन) हावड़ा से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस के 14 डिब्बे ओडिशा में जाजपुर रेलवे स्टेशन के पास पटरी से उतरे. हादसे में 16 की मौत हो गई और 50 घायल हुए।
- अगस्त 2008: सिकंदराबाद से काकिनाडा जा रही गौतमी एक्सप्रेस में देर रात आग लगी। इसके कारण 32 लोग मारे गए और कई घायल हुए।
- 21 अप्रैल 2005: गुजरात में वडोदरा के पास साबरमती एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी की टक्कर में कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई और 78 अन्य घायल हो गए।
- फ़रवरी 2005: महाराष्ट्र में एक रेलगाड़ी और ट्रैक्टर-ट्रॉली की टक्कर में कम से कम 50 लोगों की मौत हो गई थी और इतने ही घायल हुए थे।
- जून,2003: महाराष्ट्र में हुई रेल दुर्घटना में 51 लोग मारे गए थे और अनेक घायल हुए।
- 2 जुलाई, 2003: आंध्र प्रदेश में हैदराबाद से 120 किलोमीटर दूर वारंगल में गोलकुंडा एक्सप्रेस के दो डिब्बे और इंजन एक ओवरब्रिज से नीचे सड़क पर जा गिरे। इस दुर्घटना में 21 लोगों की मौत हुई।
- 15 मई, 2003: पंजाब में लुधियाना के नज़दीक फ़्रंटियर मेल में आग लगी। कम से कम 38 लोग मारे गए।
- 9 सितंबर,2002: हावड़ा से नई दिल्ली जा रही राजधानी एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हुई। इसमें 120 लोग मारे गए।
- 22 जून, 2001: मंगलोर-चेन्नई मेल केरल की कडलुंडी नदी में जा गिरी। 59 लोग मारे गए।
- 31 मई, 2001: उत्तर प्रदेश में एक रेलवे क्रॉसिंग पर खड़ी बस से ट्रेन जा टकराई। 31 लोग मारे गए।
- 2 दिसंबर, 2000: कोलकाता से अमृतसर जा रही हावड़ा मेल दिल्ली जा रही एक मालगाड़ी से टकराई। 44 की मौत और 140 घायल।
- 3 अगस्त, 1999: दिल्ली जा रही ब्रह्पुत्र मेल अवध-असम एक्सप्रेस से गैसल, पश्चिम बंगाल मे टकराई। 285 की मौत और 312 घायल।
- 26 नवंबर, 1998: फ्रंटियर मेल सियालदाह एक्सप्रेस से खन्ना, पंजाब में टकराई। 108 की मौत, 120 घायल।
- 14 सितंबर,1997: अहमदाबाद-हावड़ा एक्सप्रेस बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में एक नदी में जा गिरी। 81 की मौत, 100 घायल।
- 18 अप्रैल, 1996: एर्नाकुलम एक्सप्रेस दक्षिण केरल में एक बस से टकराई। 35 की मौत, 50 घायल हुए।
- 20 अगस्त, 1995: नई दिल्ली जा रही पुरुषोत्तम एक्सप्रेस कालिंदी एक्सप्रेस से फ़िरोजाबाद, उत्तर प्रदेश में जा टकराई। 250 की मौत, 250 घायल।
- 21 दिसंबर,1993: कोटा-बीना एक्सप्रेस मालगाड़ी से राजस्थान में टकराई. 71 की मौत और अनेक घायल।
- 16 अप्रैल, 1990: पटना के पास रेल में आग लगी. 70 की मौत।
- 23 फरवरी, 1985: राजनांदगाँव में एक यात्री गाड़ी के दो डिब्बों में आग लगी। 50 की मौत और अनेक घायल।
- 6 जून,1981: बिहार में तूफान के कारण ट्रेन नदी में जा गिरी। 800 की मौत और 1000 से अधिक घायल।
देश की जर्जर हो चुकी रेल व्यवस्था और दुर्घटनाओं का इतिहास
Reviewed by Kehna Zaroori Hai
on
06:52
Rating:

No comments: