मातृछाया: क्या सच में है माँ के आँचल की छाया
@iamshubham
'मातृछाया' हिंदी शब्दकोश का एक ऐसा शब्द जिसका अर्थ अपने बच्चे के लिए माँ के आँचल की छाया, यह शब्द हमें मातृत्व के उस वात्सल्य की अनुभूति कराता है जो एक माँ अपने बच्चे के लिए अपने दिल में सँजोए रहती है। माँ की ममता, उसका प्यार, बुरी बातों से उसे दूर रखने के लिए बच्चे को डाँटना, बच्चे को चोट लग जाए तो माँ के हृदय में संवेदनाओं का विस्फोट जिससे वह अपने बच्चे के सारे दर्द को खुद में समा लेने के लिए बेचैन हो उठती है और बच्चे की खिलखिलाहट देख फूले नहीं समाती है, इन सारी मातृत्व भावनाओं का द्योतक है मातृछाया, पर बड़ी ही विचित्र बात है 'मातृछाया' भोपाल की गोद में बसी ऐसी संस्था का नाम है जहाँ छोटे छोटे बच्चे तो हैं, वहां उनके हँसने की खिलखिलाहट गूँजती है, किसी खिलौने को पाने की जिद मे रुंधे गले रोने की आवाज भी गूँजती है पर इन सब के बाद ना वहाँ उनकी माँ है जो अपने बच्चे को अपनी ममता की आँचल में समेट कर माँ का प्यार दे सके और ना ही उनका पिता है जो उन्हें अपनी गोद में उठाकर जिंदगी में आने वाली चुनौतियों के लिए उन्हें तैयार कर सके।
दरअसल ' मातृछाया ' एक अनाथालय का नाम है जहाँ हमारा ग्रुप हाल में ही गया था। वहाँ का जायजा लेने पर दिल को कुरेद कर रख देने वाली तस्वीर सामने आई, हम कुछ ऐसे बच्चों से मिले जो भविष्य में आने वाली उन तमाम चुनौतियों से बेखबर, अपने मौज मस्ती में डूबे बचपन को जी रहे थे तो कुछ अपने जीवन के उस शुरुआती दौर में थे जहाँ उनका दिन किसी की गोद में तो कभी पालने में झूलते हुए बीत जाता है। ये सारे ऐसे बच्चे थे जिन्हें उनके माँ बाप ने पैदा तो कर दिया पर जब बच्चे की जिम्मेदारी उठाने का समय आया तो कुछ ने अपनी आर्थिक अपंगता का हवाला दिया, तो कुछ ने तो इन मासूमों को वासना के आवेश में आ कर की गई भूल का नतीजा मान लिया, कुछ ने बच्चों में शारीरिक या मानसिक विकार होने जैसी कारणों को बता कर बच्चों की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।
अनाथालय के अधिकारी से बात करने पर पता चला कि कुछ बच्चों को उनके माता पिता खुद संस्था के बाहर लगे पालने में छोड़ जाते हैं तो कुड़े के ढेर पर से उठा कर लाया गया है। कितनी अजीब बात है ना, जिन्हें धरती पर ईश्वर के प्रतीकात्मक रूप कहा जाता है वही अपने संतान को इस जहन्नुम में छोड़ जाते हैं। कम से कम बच्चों क भविष्य के बारे में तो सोचा होता। ऐसे लोग जिनमें बच्चे को पालने की कूबत नहीं है उन्हें बच्चे को पैदा कर के उनके जीवन को बर्बाद करने का भी कोई हक नहीं है।
मातृछाया: क्या सच में है माँ के आँचल की छाया
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