पर्यटन भारत में


@iamshubham


आज पूरा देश पर्यटन दिवस मना रहा है। पर्यटन के नज़रिए से भारत हमेशा से विश्व के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। असल में भारत की भौगोलिक संरचना ही कुछ इस प्रकार की है कि कभी हिमालय का विशालकाय स्वरुप तो कभी राजस्थान की मरू भूमि, कभी गुजरात में शिव की नागरी सोमनाथ और श्री कृष्ण का साम्राज्य द्वारका पर्यटकों को अपनी ओर खींच लाती है तो वही असम के घनघोर जंगलों की हरियाली से सैलानी खींचे चले आते हैं। दरअसल भारत, सांस्कृतिक और धार्मिक विविधताओं वाला राष्ट्र है इसीलिए सभी जाती, धर्म और संप्रदाय के लोगों को यहाँ आने का एक और कारण भी मिल जाता है। फिर तो चाहे देश की आध्यातमिक राजधानी और शिव नागरी वाराणसी हो या ख़्वाजा गरीब नवाज़ का दरहगाह अज़मेर शरीफ। चाहे बोध गया हो या पावापुरी में स्थित दिगंबर जैन मंदिर, सभी जगहों पर बारहो मास सैलानियों का हुजूम एक सा रहता है। देश में पर्यटन की महत्ता इस बात से लगाया जा सकता है कि देश के सकल घरेलु उत्पाद (जी.डी.पी.) में पर्यटन का योगदान 6.8% का है।
किसी भी राष्ट्र को वैश्विक पहचान दिलाने में पर्यटन की बहुत बड़ी भूमिका होती है। एक तरफ राष्ट्र की संस्कृति, भाषा को वैश्विक समृद्धि दिलाने में
 पर्यटन का प्रमुख योगदान रहता है वही दूसरी ओर यह आय का भी प्रमुख श्रोत होता है। पर्यटन के नज़रिए से महत्वपूर्ण सभी शहरों में देखा जाता है कि वहां उतनी रोजगार की किल्लत नहीं होती जितना कि आम तौर पर दूसरे शहरों में मिलती है।
चूँकि राष्ट्र के विकास के नज़रिए से यह अतिमहत्वपूर्ण क्षेत्र है, इसलिए केन्द्र एवं राज्य सरकारों को पर्यटन को और ज्यादा बढ़ाने के क्षेत्र में और भी जरुरी कदम उठाने चाहिए। पर्यटन से हुई आमदनी को राष्ट्रीय हित में उपयोग करते हुए पर्यटन के नज़रिए से महत्वपूर्ण जगहों को और ज्यादा विकसित करने के की दिशा में अर्थ का व्यय करना चाहिए और साथ ही साथ देश के पर्यटन को और ज्यादा प्रचारित और प्रसारित करने की आवश्यकता है जिससे इस क्षेत्र में और ज्याद उन्नति, प्रगति और रोजगार की सम्भावनाएँ और ज्यादा बढ़े।
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